The face of Beggar Politics, 17 years later...



#The_face_of_Beggar_Politics, #17_years_later : कर्ज है कई गुना, जिसको जनता को है भोगना…..
लेकिन आप तो सालगिरह का जश्न मनाईये साहेब ……..?

लग रहा है कि पहाड़ की हुकूमत के शौहर हैं त्रिवेंद्र l अपनी बेगम (उत्तराखंड) के साथ सालगिराह का जश्न मना रहे हैं, हालांकि कामयाबी ऐसी दिख रही है पटल पर मानो जैसे कि बेगम ही बांझ हो गयी हो या सौहर असमर्थ ....?
2017, 18 मार्च , उत्तराखंड रियासत में बीजेपी के बंसत का आगमन त्रिवेंद्र रावत के रूप में हुआ l जिसके बाद 18 मार्च को युवराज त्रिवेंद्र को उत्तराखंड का राजसी मालिकाना हक़ सौंप दिया l और अपने एक साल के पट्टे में त्रिवेंद्र सरकार ने भ्रष्टाचार के नाम पर राज्य में निरंकुश होती व्यवस्था को पटरी पर लाने की कोशिश तो की है, लेकिन इसके अलावा भी बहुत से ऐसे मुद्दे हैं जिन पर त्रिवेंद्र सरकार को काम करने की जरूरत है l 
बरहाल, त्रिवेंद्र सरकार को यकीं है कि राजसी ह़क मिलते ही उन्होंने भ्रष्टाचार पर नकेल कसी है, बेलगाम होते माफिया राज को खत्म किया है, महिलाएं कैसे सशक्त हो सकती हैं, कैसे उनको आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है उस पर बहुत तेजी से काम करने का दावा किया है, लघुउद्योग पर भी काम किया है, और संक्षिप्त में कहा कि “ हमने जो वादा किया था वो पूरा किया है और आगे भी करेंगे l लगे हाथ आने वाले चार साल की परिरेखा भी बुन ली है l 
यह सब खुलासा त्रिवेंद्र सरकार के सालगिराह के कौथिक में हुआ लेकिन ज्वलंत मुद्दे इनके अलावा भी बहुत हैं, जिसमें राज्य आन्दोलनकारियों के खोते अस्तित्व का मुद्दा, राज्य की राजधानी का मुद्दा, पलायन का मुद्दा, बजंर खेत आबाद करने का मुद्दा और ना जाने कितने ऐसे छोटे बड़े मुद्दे हैं जिसमें पहाड़ झुलस रहा है l क्योंकि राज्य बनने से लेकर पूर्व मुख्यमंत्री के राजसी तक लगभग 41,000 करोड़ का लगान था और वर्तमान सरकार ने भी अब तक 6,100 करोड़ का लगान अपने एक साल में ले चुकी है l अर्थात कुल मिलाकर अब तक लगभग 47000 करोड़ की लगान पहाड़ की जनता अपने जवान लड़के की अर्थी की तरह ढो रही है l लेकिन इन उधारी विपदाओं से निपटने के बजाय सरकार रत्ती भर उपलब्धियों पर खर्चा कर राज्य और देश भर में विकास का ढिंढोरा पीट रही है l क्योंकि इन अय्याशियों का पैसा और लगान का बोझ जनता को ही भोगना होता है l

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