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एजेंसी (आईटीडीए), देहरादून के भवन निर्माण में करोड़ों का घपला हुआ
है। शासन को सौंपी गई जांच रिपोर्ट में कार्यदायी संस्था यूपी निर्माण निगम
निर्माण के अफसरों की कारगुजारी पूरे मामले में सामने आ रही है। यहां न केवल घटिया सामग्री महंगी दरों पर खरीदी गई बल्कि योजना में भी
अनावश्यक बदलाव करके घपले को अंजाम देने की बात सामने आई है। मामले का खुलासा
आईटीडीए प्रबंधन के निर्देश पर लोक निर्माण विभाग द्वारा की गई गई जांच में हुआ
है। अब आगे की कार्रवाई के लिए रिपोर्ट सचिव आईटी को सौंपी गई है।
2014 में आईटीडीए भवन का ठेका यूपी राजकीय निर्माण निगम को दिया गया था। यूपी राजकीय निर्माण निगम ने करीब 12 करोड़ की लागत से निर्माण का काम 2016 में पूरा किया गया। आईटीडीए निदेशक अमित सिन्हा को निर्माण कार्यों में अनियमितताओं की जानकारी मिली तो उन्होंने मुख्य सचिव को मामले की जानकारी दी। मुख्य सचिव के निर्देश पर आईटीडीए भवन का लोक निर्माण विभाग के माध्यम से आडिट और जांच कराने का फैसला किया गया।
लोक निर्माण विभाग की टीम ने रिपोर्ट दी है, उसने आईटीडीए अधिकारियों के होश उड़ा दिए। सूत्रों के मुताबिक रिपोर्ट में कहा गया है जो काम 12 करोड़ में किया जाना दिखाया गया है, उस गुणवत्ता का काम छह करोड़ में किया जा सकता था। यह बात भी कही गई है कि आईटीडीए में चार मंजिल का भवन एप्रूव्ड था, जबकि बनाई गईं सिर्फ तीन मंजिलें। इसके अलावा मौजूदा समय में जो पार्किंग की जगह छोड़ी गई है, वहां भी कंस्ट्रक्शन होना था। उसे भी छोड़ दिया गया। प्रथमदृष्टया निर्माण योजना में बदलाव, निम्न गुणवत्ता का सामान लगाकर और महंगी दरों में निर्माण कर करोड़ों का खेल किए जाने की बात सामने आई है। जांच रिपोर्ट सचिव आईटी को सौंपी गई है।
2014 में आईटीडीए भवन का ठेका यूपी राजकीय निर्माण निगम को दिया गया था। यूपी राजकीय निर्माण निगम ने करीब 12 करोड़ की लागत से निर्माण का काम 2016 में पूरा किया गया। आईटीडीए निदेशक अमित सिन्हा को निर्माण कार्यों में अनियमितताओं की जानकारी मिली तो उन्होंने मुख्य सचिव को मामले की जानकारी दी। मुख्य सचिव के निर्देश पर आईटीडीए भवन का लोक निर्माण विभाग के माध्यम से आडिट और जांच कराने का फैसला किया गया।
लोक निर्माण विभाग की टीम ने रिपोर्ट दी है, उसने आईटीडीए अधिकारियों के होश उड़ा दिए। सूत्रों के मुताबिक रिपोर्ट में कहा गया है जो काम 12 करोड़ में किया जाना दिखाया गया है, उस गुणवत्ता का काम छह करोड़ में किया जा सकता था। यह बात भी कही गई है कि आईटीडीए में चार मंजिल का भवन एप्रूव्ड था, जबकि बनाई गईं सिर्फ तीन मंजिलें। इसके अलावा मौजूदा समय में जो पार्किंग की जगह छोड़ी गई है, वहां भी कंस्ट्रक्शन होना था। उसे भी छोड़ दिया गया। प्रथमदृष्टया निर्माण योजना में बदलाव, निम्न गुणवत्ता का सामान लगाकर और महंगी दरों में निर्माण कर करोड़ों का खेल किए जाने की बात सामने आई है। जांच रिपोर्ट सचिव आईटी को सौंपी गई है।
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