दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पहले नेता थे जिन्होंने सर्जिकल स्ट्राइक का सबूत मांगा था | इसको लेकर केजरीवाल पाकिस्तान के न्यूज़ चैंनलों और अखबारों की चर्चित सुर्खियाँ भी बने रहे |
18 सितम्बर 2016 में हुए उरी हमले ने देश के हर
एक नागरिक को झकझोर दिया था | जवानों की चिता ठंडी भी नहीं हुई थी कि देश में
चौतरफा बेतुकी सियासी बयानबाज़ी का दौर शुरू हो गया | इन सियासी बयानबाज़ी का केंद्र
बिंदु था बीजेपी | आखिर क्यों ना हो बीजेपी...? जब कांग्रेस केंद्र में थी उस समय
भी आतंकवाद और सीमा सुरक्षा जैसे मुद्दे पर बीजेपी, कांग्रेस को घेरती रहती थी |
लाफेबाज़ी में यहां तक कह देती थी की हम सत्ता में होते तो आज कश्मीर में अमन कायम
होता...?
एक सिर के बदले दस सिर लाते..? जम्मू से
धारा 370 का तोड़ निकाल देंगे....आतंकवादियों, पत्थरबाजों पर खुल कर कार्यवाही
होगी....वगैरा- वगैरा...!
भारतीय सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक कर उरी हमले का लिया था बदला |
खैर, उरी हमले के होने बाद प्रधानमंत्री ने
खुले आम एक चुनावी भाषण में कहा था कि जवानों की शहादत व्यर्थ नहीं जाएगी | इसी बीच
पाकिस्तान LOC पर भारतीय जवानों की पेट्रोलिंग शुरू हो गयी | 29 सितंबर 2016 के
दिन भारतीय जवानों ने पाकिस्तान के कब्जे वाले इलाके में घुसकर आतंकवादी कैंपों को
ध्वस्त कर कई आतंकवादियों और पाकिस्तानी सैनिकों को नेतानाबुत कर सर्जिकल स्ट्राइक
को अंजाम दिया | इस पूरी कार्रवाई में हिस्सा लेने वाले सभी भारतीय सैनिक बिना
किसी दुर्घटना के वापिस लौट आये थे
| आज उसी सर्जिकल स्ट्राइक का फुटेज आखिरकार सामने आ गया है | जारी किए गए इन फुटेज में पाकिस्तानी
ठिकानों पर किये गये हमले को दिखाया गया है | यह सभी फुटेज ड्रोन कैमरों और कमांडो के हैलमेट में लगे कैमरों से
लिए गए थे |
अब जरा चंद वर्ष पहले सर्जिकल स्ट्राइक के समय
में जाते हैं, जहां से इसको पॉलिटिकल स्ट्राइक से परिभाषित किया गया | गोवा के
वर्तमान मुख्यमंत्री और गत रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर जगह जगह सर्जिकल स्ट्राइक
के लिए मोदी जी को धन्यवाद देते नजर आते थे | पर्रिकर ही नहीं मोदी ब्रिगेड के सभी
नेता सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर ऐसा उतावले थे जैसे स्वयं मोदी ने इस स्ट्राइक का
अंजाम दिया हो | गली मोहल्लों से लेकर हाईवे में पोस्टर-बैनर तक लगावा दिए गये
सर्जिकल स्ट्राइक के | यहां तक कि उत्तर प्रदेश और गुजरात चुनाव में भी सर्जिकल
स्ट्राइक का जम कर बोलबाला रहा | सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर पक्ष-विपक्ष एक दुसरे
के बाल नोंचते जगह जगह दिखाई दे रहे थे |
सर्जिकल स्ट्राइक का श्रेय लेने वालों जवानों की शाहदत का जिम्मेवारी कौन लेगा...? |
आज
कल दिल्ली के दरबार में सर्जिकल स्ट्राइक की फुटेज को लेकर भी बहस छिड़ गई है | सवाल उठ रहे हैं कि क्या इस तरह का
संवेदनशील फुटेज जारी किया जाना चाहिए था...?
क्या
इस फुटेज को डेढ़ साल पहले सितंबर-अक्तूबर 2016 में सैनिक कार्रवाई के बाद ही जारी
नहीं कर दिया जाना चाहिए था, ताकि सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर संदेह
कर रहे लोगों का मुंह बंद करा दिया जाता |
तब
इस फुटेज को कुछ लोगों ने देखा था
| लेकिन इसे जारी नहीं किया गया था |
क्या केंद्र सरकार सर्जिकल स्ट्राइक की फुटेज का सहारा लेकर अपनी सियासी
रुपरेखा गढ़ रही है...?
क्या यह सियासत की तर्ज पर जवानों के साहस से खिलवाड़ नहीं...? ऐसे कई सवाल
हैं जो जो विभिन्न विचारवादी समुदाय के लोगों के जहन में उबल रहे हैं |
वैसे सामान्य तौर पर देखा जाये तो सिर्फ फुटेज
ही नहीं बल्कि सर्जिकल स्ट्राइक भी सियासत के मैदान की फुटबॉल बन कर रही गई है,
जिसका
कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टियां एक-दूसरे के खिलाफ गोल करने के लिए
इस्तेमाल कर रही हैं और किया भी है | वैसे इस पर सियासत करने की शुरुआत भी बीजेपी ने ही शुरू की थी | सबसे
पहले सर्जिकल को फर्जिकल करार देने की आवाज पूर्व केंद्रीय मंत्री और बागी बीजेपी
नेता अरुण शौरी द्वारा हुई, जिन्होंने सर्जिकल स्ट्राइक को ही फर्जिकल
स्ट्राइक करार कर दिया |
इसी के बाद सर्जिकल स्ट्राइक का फुटेज पहली बार सामने आया | यह बताने के लिए कि पाकिस्तान के
खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक फर्जिकल स्ट्राइक नहीं थी |
दरअसल, सर्जिकल स्ट्राइक के बाद जनता के अनुरूप न
तो सर्जिकल स्ट्राइक और न ही उसके फुटेज को लेकर आम जनता के मन में कोई संदेह रहा | ना ही किसी भारत के नागरिक ने (किसी
दल के व्यक्ति आदि को छोड़ कर) सबूत की मांग की | लेकिन यह कुछ सियासी पार्टियों की
ही करामात थी जिन्होंने इसे मुद्दा बनाने की कोशिश की | दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद
केजरीवाल पहले नेता थे जिन्होंने सर्जिकल स्ट्राइक का सबूत मांगा था | इसको लेकर केजरीवाल पाकिस्तान के
न्यूज़ चैंनलों और अखबारों की चर्चित सुर्खियाँ भी बने रहे | इसके बाद राहुल गांधी ने
बीजेपी पर सर्जिकल स्ट्राइक के बहाने सियासत करने का आरोप लगाया और आरोपों की सीमा
लांघ उन्होंने बीजेपी पर खून की दलाली का आरोप लगा दिया|
सर्जिकल स्ट्राइक की तरह ही उसका फुटेज आने के
बाद कांग्रेस एक बार फिर बीजेपी पर आक्रामक है | बीजेपी सर्जिकल स्ट्राइक को कड़ी सुरक्षा नीति का हिस्सा बताती है
जिसमें दुश्मन को उसके घर में घुस कर मारा गया | कांग्रेस कहती आई है कि यह पहली बार नहीं है जब इस तरह की सर्जिकल
स्ट्राइक की गईं |
लेकिन फर्क सिर्फ यह है कि पहली बार इसका ढिंढोरा पीटा जा रहा है, क्योंकि
बीजेपी इसका सियासी फायदा उठाना चाहती है | तो अब जब हाल-फिलहाल कोई चुनाव सामने नहीं है आखिर यह फुटेज क्यों
जारी किया गया...? क्या यह जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल
शासन लगने के बाद सरकार के ठोस और सख्त इरादों को देश के सामने रखने के लिए आया या
फिर सिर्फ अरुण शौरी जैसे नेताओं के बयानों पर पानी फेरने के लिए...?
क्या इसका मकसद 2019 लोकसभा से पहले राष्ट्रीय
सुरक्षा को लेकर मोदी सरकार की छवि को सकारात्मक और ज्यादा दुरुस्त करना है...?
क्या सर्जिकल स्ट्राइक पर विपक्ष के हमलावर
तेवर स्वयं उस पर ही भारी तो नहीं पड़ जाएंगे...?
फ़िलहाल तो देश राजनीतिक रंजिस का बखूबी शिकार हो रहा है|देश में
छोटे से लेकर कोई भी बड़ा मुद्दा सियासी तराजू में तोल कर ही उस पर मंथन किया जाता
है| जो कि लोकतंत्र के लिए बहुत हानिकारक है |
लेकिन अब समय बदल रहा है अब ऐसे दलों को इस प्रकार की बेवजह निजी राजनीतिक
मसला से लोकतंत्र के साथ विश्वासघात करना बहुत महंगा पड़ सकता है |
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