पूरा देश में न्यू इयर के जश्न में मदमस्त था तो दूसरी तरफ एयर इंडिया इस परेशानी में था कि “ एंपरर अशोका “ एयर इंडिया का वो आसमानी महल जिसमें लक्जरी सुविधाओं के साथ-साथ सेफ्टी के इसमें बेहद-खास इंतजाम थे | इस आसमानी महल को 340 यात्रियों ( क्रुज मेम्बर सहित ) के लेकर न्यू इयर का जश्न दुबई में मानना था वो लेकिन कुछ तकनीकी खराबियों के कारण मुंबई के सांता क्रूज़ एयरपोर्ट पर अपने भविष्य के चंद लम्हों को गिन रहा था | जैसे शायद उसको पता हो कि वो अरब सागर के गर्भ में समानें वाला है | तकनीकी रूप से ख़राब जहाज को ठीक करने के लिए इंजीनियर लगे हुए थे और शाम होने तक जहाज ठीक कर दिया गया | जहां एंपरर अशोका को नये साल की पहली किरण ( लगभग सुबह 7.30 ) को सलाम करके 340 यात्रियों के जत्थे के साथ दुबई रवाना होना था, वहीँ तकनीकी खराबियों को ठीक करने के बाद उसका समय रखा गया शाम के 8.15 पर | कई यात्रियों ने गुस्से में अपना टिकट ही कैंसिल करवा दिया, जिसके लिए एयर इंडिया ने यात्रियों से माफ़ी भी मांगी, लेकिन कैंसिल करवा चुके टिकट वाले यात्रियों का गुस्सा जायज ही नहीं उनके जीवन का हमसफर भी निकला |
Boeing 747 Air India |
जनवरी 1 ,1978 , समय शाम के 8.15, सिग्नल मिलते ही आसमानी महल “ एंपरर अशोका ” ने मुंबई के
सांता क्रूज़ एयरपोर्ट से सितारों की छाँव का सजदा कर दुबई के लिए उड़ान भरी |
जिसके पायलट थे “ पायलट मदनलाल कुकर “ जो
कि बहुत तजुर्बेकार पायलट थे | कुछ ही देर बाद “ एंपरर अशोका ” लगभग 8000 फिट की ऊँचाई को छू चूका था |
रूटीन के अनुसार एयरपोर्ट से रवाना होने वाले विमानों की खोज-खबर रखने वाले
डिपार्चर कंट्रोलर ने विमान के कॉकपिट से संपर्क किया | पायलट साब से बात हुई,
पायलट साब ने कहा, हैप्पी न्यू ईयर सर जी सब खैर-सलामत चंगा है जी
|
कुछ ही देर बाद कि घड़ी मिनट का चक्कर पूरा कर पाती, धड़ाम की आवाज आई | कुकर
और उनके सह-पायलट ने तुरंत इस घटना की जांच की | सेकंड भर की भी देरी न करते हुए
विमाने के सभी जरूरी उपकरणों को चेक किया गया | इस दौरान उन्होंने पाया कि विमान
के कुछ यंत्र खराब है या फिर काम नहीं कर रहे हैं ?
कालिमामयी रात में आसमानी महल पूरी तरह से अपना नियंत्रण खो चुका था
| अब कुकर के पास एडीआई की बात मानने के सिवा कोई और रास्ता नहीं था | एडीआई
अनुसार विमान को वह बाई तरफ मोड़ते रहे, साथ ही बिना किसी यंत्र व्यवस्था के मात्र
इशारों पर जहाज को चलाते रह | लेकिन विमान तो तेजी से अरब सागर की तरफ जा रहा था |
213 Passengers Available in Flight |
और अचानक विमान 190 यात्री, 20 फ्लाइट अटेंडेंट, दो पायलट और एक फ्लाइट इंजिनियर के साथ अरब सागर के की गर्भ में जा
समाया | भारी भरकम 231 फुट का विमान के पानी में इतनी तेज रफ्तार और आवाज के साथ
गिरा कि मानो जैसे कोई बम विस्फोट हुआ हो | अब आसमानी महल पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुका
था और साथ ही इसमें सवार लोग अपना दम तोड़ चुके थे | तेज विस्फोट, चीख पुकार के
साथ फिर अरब सागर में सन्नाटा पसर गया | अरब सागर में दफन हो चुकी थी कई जान और
आसमानी महल की दास्ताँ |
News Paper Cutting |
क्या बात थी जो इसको बनाती थी आसमानी महल....?
आसमानी महल यानि कि एंपरर अशोका जिसका नाम सम्राट अशोक के नाम पर रखा गया गया
जिसको 1971 में भारत आया था | यह जहाज किस किस्म का था, इसको इसी से समझा जा सकता है
कि भारत में आते ही इसे एयर इंडिया के सिर का ताज कहा जाने लगा था | अमेरिका में
निर्मित यह जहाज “ जंबो जेट “ के नाम से मशहूर था | अमेरिकी तकनीकीकरण का
एक बेहद शानदार नमूना था “ जंबो जेट “ |
आसमानी महल के अंदर का नाजारा एकदम शाही थी जैसे किसी महल के सभागार
का होता है | जहां इसकी दीवारे भारतीय शैली में बनी मूर्तियों से रंगी हुई थीं, वहीं इसमें आम सीटों की जगह आलिशान सोफे लगाए गए थे |
इतना ही नहीं आसमानी महल के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग तरह के
वॉलपेपर, हाथ से बने पोस्टर लगे हुए थे, जिनके रंग यात्रियों का मन
मोह लेने के लिए काफी थे | दूसरी तरफ इसमें लक्जरी सुविधाओं के साथ-साथ सेफ्टी के बेहद-खास
इंतजाम थे | यहां तक कि उस समय की तकनीकि के अनुसार अगर कभी इसका इंजन काम करना
बंद कर दे, तो इसमें लगे दूसरे इंजनों की मदद से यह सही-सलामत आसानी से अपनी
लैंडिंग कर सकता था |
यही कारण थे कि एयर इंडिया तो इसे भारत का ‘आसमानी महल’ कहता था | बावजूद इसके यह दुर्घटना ग्रस्त हो गया, यह समझना और कहना मुश्किल था |
Hospitality with Royal Style |
कौन था जिम्मेदार या कौन हो सकता था...?
एंपरर अशोका का अरब सागर के गर्भ में समा चूका था, इससे मसले से सिर्फ एयर इंडिया के लिए नहीं बल्कि इसको बनाने वाली अमेरिकन
कंपनी ‘बोइंग’ भी परेशान थी कि आखिर ऐसा कैसे हो सकता | यह लक्जरी विमान ‘बोइंग’ का सबसे ज्यादा बिकने वाला
विमान था |
लेकिन अब ‘बोइंग’ के अधिकारीयों को यह बात गले से नीचे नहीं उतर रही थी | जिसके लिए उन्होंने
एक टीम बनाई और छान-बीन शुरु कर दी | छान-बीन के कुछ वक़्त बाद बोइंग ने दावा किया
कि एंपरर अशोका की दुर्घटना के पीछे खराब उपकरण जिम्मेदार नहीं थे. बल्कि, विमान चालक कैप्टन मदन कुकर जिम्मेदार थे | बोइंग के अनुसार पायलट ने
नशीले पदार्थ का सेवन किया हुआ था जिस वजह से जहाज नियंत्रण से बाहर हो गया था |
लेकिन दूसरे मत के अनुसार विमान
में लगी खास मशीन ADI यानी एटीट्यूड डायरेक्टर
इंडिकेटर को खराब बताया गया | विमान में यह एक खास किस्म का डिवाइस होता है, जो यह बताता है कि जमीन की सतह के हिसाब से विमान की स्थिति क्या है
| खराब होने की वजह से ADI ने गलत सिग्लन दिए , जिस कारण विमान चालक ने विमान बाई तरफ झुका दिया, जबकि वह सीधा उड़ रहा था,
शायद यही चूंक हो गई और एक आलीशान जहाज अरब सागर के गर्भ में जमींदोष हो गया |
‘बोइंग’ भले ही इस बात का दावा करता
रहा कि उनका विमान इस तरह नहीं डूब सकता, किन्तु समय का सच तो यह
है कि विमान कोई भी हो कैसा भी हो समय के कालचक्र के कारण वह डूब सकता है |
यह कोई पहली घटना नहीं थी इतिहास की | इससे पहले टाईटेनिक की कहानी
से आप रूबरू होंगे की शायद....?
Story Write By : Himanshu Purohit
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Credit : Scroll .In
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