आज कोई हमारे लिए जान दे गया था । हमें उनकी शहादत का ख़्याल इसलिए भी है कि कोई हमारे लिए पत्थर की दीवार बन जाने के लिए जान नहीं देता, वहशी बनाने के लिए जान नहीं देता है, वो जान इसलिए देता है कि हम आने वाले भविष्य में सक्षम होकर सोचें, विचारें, बोलें, लिखें, मुस्कुरायें और दूसरों को हँसाये और उस शहादत की अमर गाथा दुनिया को प्रेरणा स्वरुप अर्पित करें और उस मुल्क को बेहतर बनाने के लिए हर पल लड़ें, जिसके लिए वो जान दे गया है।
ऐसी ही एक शहादत है शहीद यशोधर बेंजवाल और राजेश रावत की l जिन्होंने राज्य आन्दोलन में अपने प्राणों का बलिदान दिया और मातृभूमि के विकास, पहचान और अस्तित्व के संघर्ष की अंतिम साँस तक लड़ाई लड़ी ।
शहीद यशोधर बेंजवाल का जन्म रुद्रप्रयाग जिले के बेंजी गांव में 22 जून 1958 को धूमा देवी और मित्रानंद बेंजवाल के घर हुआ था। सामान्य कृषक परिवार से संबंधित यशोधर ने कठिनाइयों के बावजूद भी कभी हिम्मत नहीं हारी । चोपता में स्वतंत्र व्यवसाय के बाद श्रीकोट गंगानाली में मेडिकल स्टोर खोला, लेकिन अगस्त 1994 में पृथक राज्य गठन की लहर से वे खुद को बचा न सके और राज्य निर्माण के लिए आंदोलन में कूद गए। आंदोलन के तहत उन्होंने दो अक्तूबर 1994 को दिल्ली में आत्मदाह का निर्णय लिया, लेकिन पुलिस को इसकी भनक लग गई और उन्हें हिरासत में लेकर तिहाड़ जेल भेज दिया गया। लेकिन जांबाज़ इरादे डगमगाने वाले कहाँ थे ....बाहर आने के उपरांत दुबारा से आन्दोलन में भागीदारी की l
7- 10 नवंबर 1995,
मंदाकनी घाटी राज्य आन्दोलन के अंगारों में धधक रही थी, नारों और रैलियों से खुला आसमान तक गूंज रहा था l आन्दोलनकारियों ने श्रीनगर गढ़वाल श्रीयंत्र टापू पर सरकार की कुनीतियों और पृथक राज्य की मांग को लेकर संघर्षशील बनाने के लिए 7 नवम्बर से आमरण अनशन निर्णय लिया l
अब, सुलगती आग लपटों का रूप ले रही थी कि तभी अचानक उत्तर प्रदेश पुलिस को इसकी भनक लग गयी और उन्होंने निहत्थी जनता पर लाठियों से आक्रमण करना शुरू दिया, इस अतिक्रमण से चारों तरफ संघर्षशील आन्दोलनकारियों का पृथक होना जायज था l जिसमें कई लोगों को गम्भीर चोटें भी आई, इसी क्रम में पुलिस ने दो युवक यशोधर बेंजवाल तथा राजेश रावत को राइफ़लों के बट और लाठी-डण्डों से मारकर अलकनन्दा नदी में फेंक दिया और उनके ऊपर पत्थरों की बरसात कर दी, जिससे इन दोनों की मृत्यु हो गई। राजेश रावत व यशोधर बेंजवाल शहीद हो गए थे।
ऐसे क्रांतिकारी लोग देश और समाज के लिए कुछ कर गुजरने की तमन्ना रखने वाले थे....शहीद यशोधर बेंजवाल द्वारा आन्दोलन के वक्त तिहाड़ जेल मैं लिखी कविता के कुछ अंश ........
शहीद यशोधर बेंजवाल का जन्म रुद्रप्रयाग जिले के बेंजी गांव में 22 जून 1958 को धूमा देवी और मित्रानंद बेंजवाल के घर हुआ था। सामान्य कृषक परिवार से संबंधित यशोधर ने कठिनाइयों के बावजूद भी कभी हिम्मत नहीं हारी । चोपता में स्वतंत्र व्यवसाय के बाद श्रीकोट गंगानाली में मेडिकल स्टोर खोला, लेकिन अगस्त 1994 में पृथक राज्य गठन की लहर से वे खुद को बचा न सके और राज्य निर्माण के लिए आंदोलन में कूद गए। आंदोलन के तहत उन्होंने दो अक्तूबर 1994 को दिल्ली में आत्मदाह का निर्णय लिया, लेकिन पुलिस को इसकी भनक लग गई और उन्हें हिरासत में लेकर तिहाड़ जेल भेज दिया गया। लेकिन जांबाज़ इरादे डगमगाने वाले कहाँ थे ....बाहर आने के उपरांत दुबारा से आन्दोलन में भागीदारी की l
7- 10 नवंबर 1995,
मंदाकनी घाटी राज्य आन्दोलन के अंगारों में धधक रही थी, नारों और रैलियों से खुला आसमान तक गूंज रहा था l आन्दोलनकारियों ने श्रीनगर गढ़वाल श्रीयंत्र टापू पर सरकार की कुनीतियों और पृथक राज्य की मांग को लेकर संघर्षशील बनाने के लिए 7 नवम्बर से आमरण अनशन निर्णय लिया l
अब, सुलगती आग लपटों का रूप ले रही थी कि तभी अचानक उत्तर प्रदेश पुलिस को इसकी भनक लग गयी और उन्होंने निहत्थी जनता पर लाठियों से आक्रमण करना शुरू दिया, इस अतिक्रमण से चारों तरफ संघर्षशील आन्दोलनकारियों का पृथक होना जायज था l जिसमें कई लोगों को गम्भीर चोटें भी आई, इसी क्रम में पुलिस ने दो युवक यशोधर बेंजवाल तथा राजेश रावत को राइफ़लों के बट और लाठी-डण्डों से मारकर अलकनन्दा नदी में फेंक दिया और उनके ऊपर पत्थरों की बरसात कर दी, जिससे इन दोनों की मृत्यु हो गई। राजेश रावत व यशोधर बेंजवाल शहीद हो गए थे।
ऐसे क्रांतिकारी लोग देश और समाज के लिए कुछ कर गुजरने की तमन्ना रखने वाले थे....शहीद यशोधर बेंजवाल द्वारा आन्दोलन के वक्त तिहाड़ जेल मैं लिखी कविता के कुछ अंश ........
चिल्लाने से नहीं पड़ा उनकी नींदों मैं खलाल
महलों के बंद किवाड़ों पर अब मुसल बरसाने होंगें.....
कौन तुम्हें अधिकार उपहार मैं देगा
ये ऐसा लोकतंत्र है जहा हमको भाले बरसाने होंगे.............!
महलों के बंद किवाड़ों पर अब मुसल बरसाने होंगें.....
कौन तुम्हें अधिकार उपहार मैं देगा
ये ऐसा लोकतंत्र है जहा हमको भाले बरसाने होंगे.............!
0 Comments