Karnataka Election : परिवारवादी गिरोह में उलझ रहा है अब लोकतंत्र...?
देश में जब भी, जहां भी चुनाव होता है वहां वंशवाद का समीकरण हमेशा हावी रहता है लोकतंत्र के ताज पर....
देश में जब भी, जहां भी चुनाव होता है वहां वंशवाद का समीकरण हमेशा हावी रहता है लोकतंत्र के ताज पर....
© Post by : हिमांशु पुरोहित ' सुमाईयां '
ये कोई नयी बात नहीं कि 21वीं सदी का लोकतंत्र फिर से बीती सदियों की
तरह राजतन्त्र के जंजाल में फंस रहा है | यदि पिता, मां, चाचा या चाची या अन्य
परिवारजन राजनीति में धुरंदर हैं तो इसमें कोई दोहराए नहीं की उनकी आने वाली पीढ़ी राजनीति
से ओत-प्रोत ना हो | हर कोई मुफ्त की सरकारी आवेश में अय्यासी और अय्यारी करना
चाहता है और आज के एरा में तो युवा राजनीतिक इच्छाशक्ति का एक अंध-प्रमाण है | गत पूर्व
मुख्यमंत्रियों के बेटे-बेटियां भी चुनाव मैदान में हैं | जिससे अपरिपक्व वोटर भी
महसूस कर सकता है कि राष्ट्रवाद का परिधान ओड़ परिवादवाद अपने चरम स्तर में
विराजमान है |
जैसे ही देश में चुनावी समीकरण का पासा खेला जाता है, देश की सभी
राजनीतिक पार्टियां एक दूसरे पर परिवारवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाना शुरू कर
देती हैं, लेकिन यदि
सभी दलों को देखा जाये जो खुद को लोकतांत्रिक विरासत का अध्याय बताती है ये सभी
पार्टियां ही इस परिवारवादी राजतन्त्र में लिप्त हैं |देश में जब भी, जहां भी चुनाव होता है वहां वंशवाद का समीकरण हमेशा हावी रहता है लोकतंत्र के ताज पर , बात करें आगामी कर्नाटक में
होने वाले विधानसभा चुनाव की तो यहां सभी राजनीतिक दलों ने टिकट बंटवारे में
परिवारवाद में ही अपनी प्राथमिकता दिखाई है | वैसे तो आजादी से अब तक देश की या
खुद कर्नाटक की राजनीति में वंशवाद कोई नई बात नहीं है लेकिन इस बार हैरत की बात
यह है कि चुनाव में यह पहली बार देखा जा रहा है कि सभी लोकतान्त्रिक दल के बड़े
नेता यहां अपने नाते-रिश्तेदारों को चुनावी मैदान में उतार रहे हैं या सिफारिशों
की फाइल लेके लाइन में खड़े दिख रहे हैं |
आओ जरा देखे, देश व कर्नाटक में वो तीन लोकतान्त्रिक दल जो परिवारवाद
के वंश के बीज को खूब फला-फुला रहे हैं |
सबसे पहले बात उस पार्टी का करते हैं जिसपर हमेशा से ही राजनीति में
परिवारवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगता रहा है, यानि कि कांग्रेस | आजाद हिन्दुस्तान के
इस 71 साल इस कथानक की पैरवी करते हैं कि देश
में लोकतान्त्रिक परिवारवाद की जड़ रोपने वाली पार्टी कांग्रेस ही है | जिसने शुरू
से ही वंशवाद की राजनीति के बैनर तले देश में अपना राज कायम किया | गत सभी चुनावों
की तरह इस चुनाव में भी कांग्रेस इन वंशवाद की नीति पर खरा उतरती नज़र आ रही है | 15 अप्रैल को जारी पूर्ण 224 उम्मीदवारों की लिस्ट के अनुसार कांग्रेस
ने करीब 30 से अधिक ऐसे उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा है जो किसी न किसी धुरंदर
नेता के रिश्तेदार हैं जिनके सहारे उनके नाते-रिश्तेदार विधानसभा कूच करने को व्याकुल हैं |
मिसाल के लहजे से, कर्नाटक के वजीर-ए-आला
सिद्धारमैया अपने बेटे यतीन्द्र को वरुणा विधानसभा से टिकट दिलवाने में सफल हो गए
| वहीं कर्नाटक के गृहमंत्री रामालिंगा रेड्डी ने भी अपनी बेटी सौम्या रेड्डी के
लिए जयानगर विधानसभा सीट पर दाव लगाया | वहीं पूर्व रेल राज्यमंत्री मुनियप्पा की
बेटी रूपा श्रीधर को कोलर गोल्ड फिल्डस (आरक्षित शीट) से उम्मीदवार बनाया गया |
मंत्री टी.बी जयचंद्र के बेटे संतोष जयचंद्र को चिक्कनायकहली विधानसभा क्षेत्र से विधानसभा
चुनाव में कुर्सी की जंग में उतारा गया है | एचसी महादेवप्पा के बेटे सुनील बोस
नरसीपुरा सीट अपनी दावेदारी साबित करने को आतुर हैं | यह तो नामचीन नेता हैं इसके
बाद कई अन्य क्षेत्रीय नेता ऐसे भी हैं जिन्होंने जमकर परिवारवाद लोकतांत्रिक
चुनाव में वंशनीति की भूमिका बनाने में कोई मौका नहीं छोड़ा |
वहीं केंद्र विराजित बीजेपी ने भी कमी कसर नहीं छोड़ी भले ही अभी भाजपा
उम्मीदवारों की पूरी सूची नहीं आई है, बावजूद इसके यहां भी घर घर टिकटों की बंदरबांट
लगी हुई है | यहां भी नामचीन नेताओं के नाते-रिश्तेदारों को ही विधानसभा चुनाव का
अस्वासनकारी समर्थन मिला | बीजेपी की तरफ से वजीर-ए-आला पद के दावेदार बी.एस
येदियुरप्पा के बेटे विजयेंद्र को वरुणा विधानसभा क्षेत्र का दावेदार बनाने की
कयासे जारी हैं | वहीं उनके बड़े बेटे राघवेंद्र पहले से ही शिकारीपुरा से विधायक विराजमान
हैं | पूर्व केंद्रीय मंत्री एस.एम् कृष्णा, जो हाल में ही कांग्रेस से खफा होकर
बीजेपी में अवतरित हुआ हैं, उनकी बेटी शाम्भवी को भी मद्दुर विधानसभा
क्षेत्र की दावेदारी मिलने की पूर्ण संभावना है | वही दलबदलू राजनीति के मोहरे जनता
दल (एस) की नेता परिमाला नागप्पा के बेटे प्रीतम नागप्पा इस बार भाजपा के टिकट पर
हानूर से दावेदारी पेश कर रहे हैं |
कर्नाटक में तीसरे स्तर के रूप में जनता दल (एस) सबसे सक्रीय और महत्वपूर्ण पार्टी
है, जो इस बार पहले की तरह 'किंग मेकर' के
किरदार से नवाजी जा सकती है | पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवेगौड़ा वर्तमान में
हासन से लोकसभा सांसद हैं वहीं उनके बेटे एच.डी. कुमारस्वामी रामनगरम सीट से चुनाव
मैदान में रहेंगे तो वहीं कुमारस्वामी की पत्नी अनीता कुमारस्वामी को मधुगिरि सीट का
दावेदार बनाया जा रहा है | एच.डी. देवेगौड़ा के दूसरे बेटे एच.डी. रेवन्ना होलनरसीपुरा
से चुनाव मैदान में हैं | जनता दल में और भी ऐसे नेता जो नाते-रिश्तेदार की
विधानसभा टिकट की पैरवी फाइल पर मोहर लगाने के लिए इधर-उधर घूम रहे हैं |
इसी तरह ही कर्नाटक में सभी राजनीतिक दल परिवारवाद के बैनर तले राज्य
में सरकार बनाने को आतुर हैं | जहां एक तरफ कांग्रेस अपनी अस्मत बचाने का पासा
फेंक रही है वहीँ बीजेपी भी मोदी अजेंडे के बैनर तले 2019 लोकसभा चुनाव का क्वार्टर फाइनल खेलने को
मैदानी घास से साँस लेने की जद्दोजहद कर रही है | वहीँ तीसरे स्तर की जनता दल भी
अपने वर्चाव और अस्तित्व को स्थापित करने मौका है, लेकिन एक बात तो साफ है कि इस
चुनाव में जीत किस दल की होगी यह 15 मई पता चलेगा | जनता किस दल को मुखाग्नि देकर
विदा करेगी यह आने वाला वक्त बतायेगा क्योंकि –
वर्तमान नहीं जानता कल क्या होगा...? लेकिन आज के सितारे जगमगा रहे
होंगे तो कल का सवेरा सुहाना होगा...
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