Dead Beat Politics : जिनकी हैसियत ग्राम प्रधान की नहीं थी, वो आज सत्ता के प्रधानाध्यापक बने बैठे हैं.....!

दर-बदर बेरोजगारी की लाठियां खाता आज का उत्तराखंड 
हां, 17 साल गुजर गये हैं, मायूस हो जाता हूं जब किसी राज्य आन्दोलनकारी के घर जाता हूं, कोई परिवर्तन नहीं आया है उस शहीद के घर में और उसकी शहादत से बने हुकूमत-ए-उत्तराखंड में l वैसे ही तो रखें है उनके जनाजे l हां किसी के दफना दिए होंगे या किसी के जला दिए होंगे लेकिन उनकी रूह तो आज भी अपने जनाजे तलाश कर रही है । क्योंकि उनकी रूह को भी अफसोस होगा कि ऐसे उत्तराखंड के लिए अपनी जान गंवा जनाजे तैयार किये थे ?
फर्क ही क्या आया है तब में और अब मैं ...?
खैर, कुछ वादों में फर्क जरुर आया है, हुकुमरानों की तशरीफें लखनऊ के शाही दरबार में ना होकर दूनदरबार में दिलजमई में मशगूल हैं l
क्या फर्क पड़ता है कि युवाओं को रोजगार मिले या न मिले, हुकूमत को तो सहूलियत इसी में ही है कि युवा देश के अन्य राज्यों में रोजगार ढूंढे, जिससे हुकूमत पर रोजगार का बोझ कम हो सके l इन बीते 17 सालों में उत्तराखंड में बीजेपी की हुकूमत रही हो या फिर कांग्रेस की, हर 5 बरस बाद दोनों ही हुकूमतें ये वादा निभाती हैं कि उन्होंने अपने कार्यकाल में युवाओं को रोजगार दिया है। लेकिन इन हुकूमतों के ये बड़े-बड़े वादे तब हुकूमत की पोल खोल देते हैं जब युवा सड़कों पर रोजगार के लिए आन्दोलन करने पर आमादा हो जाता है l
फिर ये हुकूमतें अपने दरजे को बचाने के लिए आंदोलन को तोड़ने की कयास लगाने लगती है l 

ऐसा ही आज कल देहरादून में देखने को मिल रहा है जहां युवा रोजगार को लेकर आन्दोलनरत है, वहीं शाही हुकूमत प्रशासन के बल पर आन्दोलन को तोड़ने की कोशिशों में मशगूल है l जहां एक तरफ हुकुमरान ठाट-बाट से हैं वहीँ युवा लाठियों की मार झेल हुकूमत को चेता रहे हैं कि अब अंजाम जो भी हो, रोजगार के लिए अब हुकूमत से अपना हक़ छिनना एक मात्र तरजीह है l हुकूमत के मुंशियों का कहना है कि सरकार के पास इतना पैसा नहीं कि वह रोजगार पैदा कर सके लेकिन हाल की रूदादों (#रिपोर्ट) के हिसाब से वजीरों, विधायकों आदि की तनख्वा में दोगना-तिगना मुनाफा किया है यहां तक कि भत्तों में इजाफा किया है l
केवल वर्तमान हुकूमत ही नहीं कांग्रेस ने भी बेरोजगारों को छलने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी अपनी हुकूमत-ए-वक्त में l उस वक्त हरीश रावत पहाड़-ए-हुकूमत के वजीर-ए-आला थे, जो दुबारा सत्ता में बने रहने की पैरवी करते हुए उस हुकूमत के नुमाइंदे मथुरा दत्त जोशी ने कहा था कि सभी तालीमयाफ़्ता (#शिक्षित) युवाओं को एक वर्ष के लिए फ्री डाटा और फ्री कॉलिंग के लिए स्मार्ट फोन दिया जायेगा और साथ ही हुकूमत की छलरचना के 100 दिन के भीतर बेरोजगारी भत्ते के रूप में 2500 रुपए देगी ।
ऐसे-ऐसे बयां हमारे हुकुमरान आये दिन देते हैं सत्ता में काबिज होने के लिए l इन वजीरों की हैसियत अपने गांव के प्रधान बनने लायक भी नहीं थी राज्य क्या मिल गया औकात ही भूल गये ..?
लेकिन अब युवाओं को जागना होगा एक नये उत्तराखंड के लिए, नये संकल्प के लिए, नये सूरज के लिए, एक अधिकार के लिए ....!
क्योंकि, आज के हालत देख किसी ने यूं ही नहीं कहा कि -
कॉलेज के सब बच्चे चुप हैं काग़ज़ की इक नाव लिए, कि चारों तरफ़ युवाओं की सूरत फैली हुई बेकारी है...........!

(c) हिमांशु पुरोहित ' सुमाईयां '

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